स्‍वागत है आपका

आप आये लगा बहार आई है ऐसे ही आते रहना श्रीमान हमें खुशी होगी


बुधवार, 26 दिसंबर 2012

तो फिर...........


तो फिर...........
फोटो - धीरेंन्‍द्र गुर्जर 
 मेरी आंखों में आंसू,
फिर भी लवों पे मुस्‍कान क्‍यूं है,
 जिन्‍दगी जीते हैं हम,
फिर भी हर कोई परेशान क्‍यों है,
 गुलशन है अगर सफर जिन्‍दगी का
तो फिर .............
इसकी मंजिल शमशान क्‍यूं है,
अगर जुदाई है प्‍यार का मतलब,
 तो फिर..............
 प्‍यार करने वाला हैरान क्‍यूं है
 अच्‍छा कर्म करना ही जिन्‍दगी है
 तो फिर........................
 बुराई का रास्‍ता इतना आसान क्‍यूं है,
 गर जिन्‍दगी है मरने के लिऐ
तो फिर ..............
जिन्‍दगी एक बरदान क्‍यूं है
 जो कभी ना मिले उससे ही लग जाता है दिल,
 तो फिर ................
दिल इतना नादान क्‍यूं है ा

             मनमोहन कसाना

1 टिप्पणी:

मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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