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सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

'अपना शासन'


एक आदमी अपने स्वार्थ के लिए कितनी जिंदगियां दांव पर लगा देता है. राजेंद्र राठौड ने दारा सिंह से अपनी दुश्मनी निकालने के लिए फर्जी मुठभेड़ के लिए कितने पुलिस वालों को यूज कर लिया. आज वे सभी जेल में पड़े हैं और उनके बीबी बच्चे परेशानियों से गुजर रहे हैं. एक आदमी की करतूत को कितने परिवार भुगत रहे हैं ? ऐसे ही कई पुलिस वाले अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद हैं, सोहराबुद्दीन केस में. इसी स्टाइल में एक मार्बल वाले को बचाने के लिए. माना कि ये पुलिस वाले भी जल्दी ही 'ऊपर' पहुंचना चाहते थे, पर कुदरती न्याय से 'अंदर' पहुँच गए !
और कमाल यह कि ऐसा व्यक्ति भाजपा की कोर समिति का सदस्य है. यही नहीं यह व्यक्ति उस वसुंधरा का खास है, जिसे भोले भाले राजस्थानी अपनी भाग्य विधाता माने बैठे हैं, केवल गहलोत से चिड के कारण. इससे बेखबर कि फिर वह शासन में आयेगी, फिर राजेंद्र, दिगंबर, भवानी सिंह जैसे व्यक्ति राज करेंगे. फिर गोपाल फोगावत, जगदीश गोदारा, सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापत जैसे लोग साजिशन या फर्जी मुठभेड़ों में मारे जायेंगे. फिर गुर्जरों की तरह किसी और कौम के लोग इनके झ
ांसे में आकर मरेंगे. या फिर कुछ किसान घडसाना या सोयला कांड की तरह पानी की मांग करते हुए शहीद होंगे.फिर ललित मोदी जैसे लोग रामबाग होटल से राजस्थान का राज चलाएंगे, राजस्थान का पैसा लूट कर ले जायेंगे. वही मोदी जो आज आई पी एल घोटाले में रेड कोर्नर नोटिस के कारण लन्दन में छुपा बैठा है. लन्दन , जहाँ वसुंधरा ने पिछले कुछ महीने गुजारे हैं.
मुझे आज वाकई में राजस्थान के गुलामी पसंद वाशिंदों पर दया आ गई. मैं बच रहा था कि ऐसे विषयों पर लिखने से बचूं, क्योंकि लोग वसुंधरा के अंधे भक्त बन गए हैं, झूठी बातों के बार बार दोहराए जाने के कारण. विनाश की देवी को विकास की देवी बताकर. मैं सोचता था कि नक्कारखाने में मेरी तूती की आवाज कौन सुनेगा. अपने रास्ते चलने की ठान ली थी, अकेले ही. लेकिन आज रहा नहीं गया. मित्रों हकीकत यही है. हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीना सच ही कह रहे हैं, पर कुछ लोग उन्हें कॉंग्रेसी एजेंट बताकर उनका मजाक उड़ा रहे हैं. पर शायद, जब तक लोग असलीयत समझेंगे, बहुत देर हो चुकेगी.
तो क्या करें ? क्या तीसरा मोर्चा सही विकल्प है ? नहीं , यह कोई सही विकल्प नहीं है. मोर्चा तो पहला ही बनना चाहिए. राजस्थान के विकास को समर्पित. घटिया राजनीति या कूटनीति से दूर. जागरूक नागरिकों के दम पर. स्वाभिमानी नागरिकों के दम पर. राजस्थान को हमने सुल्तानों, मुगलों, मराठों(सिंधियाओं) और अंग्रेजों के हाथों बहुत लुटवाया और बर्बाद करवाया है. अब और नहीं. 'अभिनव राजस्थान अभियान' से जुडिये. ३० दिसम्बर को नया इतिहास लिखना है. 'अपना शासन' स्थापित करना है. गहलोत की अक्षमता और वसुंधरा के व्यवसायीकरण से दूर.
@इस विषय पर कल और लिखूंगा. अब समय नष्ट करना ठीक नहीं है, वर्ना राजस्थान के कुशासन में डूबने के बाद केवल पछतावा रह जाएगा. उसी कुशासन में जिसे लोग प्रस्तुतीकरण के भ्रम में 'सुशासन' समझ बैठे थे. गहलोत से चिड जायज है, पर उसका एकमात्र हल कुँए में कूद जाना नहीं है. और भी रास्ते हैं जिन पर बात करेंगे. बस अपना संयम कायम रखियेगा.

writer abinav rajasthan abhiyan ke founder member h

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मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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