स्‍वागत है आपका

आप आये लगा बहार आई है ऐसे ही आते रहना श्रीमान हमें खुशी होगी


गुरुवार, 13 सितंबर 2012

अभी अभी

 दोस्‍तो
 अभी मेल आया शैल जी का यू . एस. ए. से जो कि लेखनी की संपादक हैं
 उन्‍होनों ने बताया कि अक्‍टूबर के अंक में मेरी कहानी *वार त्‍यौहार* आ रही है।
पढ कर अच्‍छा लगा।

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मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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